छोटे व्यवसायों में ऋण भुगतान के उचित उपाय

छोटे व्यवसायों से हमारा मतलब ऐसे व्यवसायों से है, जिनमें कर्मचारियों की संख्या और उत्पादन क्षमता औसतन अन्य व्यवसायों की तुलना में कम होती है। अलग-अलग देशों में इन व्यवसायों की श्रेणी में छोटे किराना स्टोर, सुविधा स्टोर, रेस्तरां, गेस्ट हाउस और छोटे पैमाने पर अन्य उद्योगों को शामिल किया गया है। छोटे व्यवसाय यानी स्मॉल बिज़नेस भी उतने ही ज़रूरी होते हैं जितने की अन्य बड़े उद्योग। ये छोटे व्यवसाय एक बड़ी आबादी को प्रभावित करते हैं। 

वहीं  लघु और मध्यम आकार के उद्योग  जिन्हें स्मॉल  और मीडियम एंटरप्राइज़ भी कहा जाता है, एक प्रकार के स्वतंत्र फर्म होते हैं जिसमें कर्मचारियों की संख्या सीमित होती है। ऐसे  उद्योगों में ज़्यादा से ज़्यादा 250 कर्मचारीही नियुक्त हो सकते हैं।  हालांकि, देशों और उनके नियमों के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या में भी अंतर् होता  है।   बिज़नेस  किसी भी श्रेणी या स्तर का हो, उसमें जोखिम और चुनौतियों की संभावना अक्सर बनी रहती है।  अगर किसी भी बिज़नेस का मालिक  सुनियोजित तरीके से व्यवसाय  चलाता है तो किसी भी जोखिम को कम किया जा सकता है और  बिज़नेस में आने वाली हर तरह की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना हो सकता है।

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छोटे व्यवसायों की प्रमुख चुनौतियाँ

  • प्राकृतिक आपदाएं - प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने और निपटने के लिए जितनी भी तैयारी की जाए, उनका सफ़ल  होना आसान नहीं है। प्राकृतिक आपदाओं के मामले में कुछ चुनिंदा नीतियां और योजनाएं ही कारगर हो सकती हैं । विकट परिस्थिति में बीमा योजनाओं का विकल्प बेहतर साबित होता है हालांकि  हर उद्यमी अपने व्यवसाय को कायम रखने का हर संभव प्रयास करता है। मंदी के दौर या अन्य नकारात्मक घटनाओं के लिए अपने बिज़नेस को तैयार रखना और उचित नीतियां बनाना बेहद मुश्किल काम है। कोई भी व्यवसाय कभी भी प्राकृतिक आपदाओं, युद्धों या नीतियों में प्रमुख बदलाव के लिए ख़ुद को पूरी तरह तैयार नहीं कर सकता है, ऐसी स्थिति में कोई भी  बिज़नेस  मॉडल ख़तरे  में आ जाता है। इसीलिए  ऐसी तमाम चुनौतियों और जोखिमों का पूर्वानुमान लगाना और इसके लिए सही तैयारी कर पाना बेहद मुश्किल प्रक्रिया है।हर व्‍यवसायी को प्राकृतिक आपदा ओंसे निपटने की लिए नीतियाँ और वित्तीय प्रावधान रखना बहुत ज़रूरी है|
     
  • ज़रूरी तैयारी: ऐसी परिस्थितियां जिनके आने और टलने को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, उन परिस्थितियों के लिए कोई भी तैयारी पर्याप्त नहीं होती है। यही वजह है कि विशेषज्ञ व्यवसायों के लिए प्रभावी नीतियां बनाने का सुझाव देते हैं। इस तरह की नीतियों में आपके व्यवसाय के कैश फ़्लो  (नकदी प्रवाह) की स्थिति, फ़ाइनेंशियल साइकल (आर्थिक चक्र) और ग्राहकों और व्यवसाय आदि के मौजूदा हालातों से जुड़ी जानकारी होती है। एक उद्यमी के तौर पर, इस तरह की जानकारी के  आधार पर आप मुश्किल और ख़राब  स्थितियों के लिए ख़ुद को आर्थिक और मानसिक रूप से  तैयार कर सकते हैं।
 
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बेहतर व्यवसाय नीति  और ऋण भुगतान  के लिए ज़रूरी कदम

  • व्यवसाय की वित्तीय स्थिति का नियमित  जायज़ा  लें -  नियमित रूप से अपने व्यवसाय की वित्तीय स्थिति का जायज़ा  लेना ज़रूरी है। ऐसा करने से आप अपने ऋण को बेहतर  ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं ताकि लोन का भुगतान आपके लिए समस्या न बने।  इस प्रक्रिया में अपने बैंकर, प्रमुख ग्राहकों, विक्रेताओं और कर्मचारियों से नियमित अंतराल पर मिलते रहें  ताकि आपको  बाज़ार के ताज़ा उतार-चढ़ाव के बारे में जानकारी रहेगी। इस तरह के नियमित मूल्यांकन और विश्लेषण के ज़रिये आप सही समय पर ठोस कदम उठाते हुए व्यवसाय की सफ़लता के लिए  लंबा रास्ता तय कर सकते हैं।
  • कैश फ़्लो (नकदी प्रवाह) और ज़्यादा ब्याज वाला  ऋण - अपने व्यवसाय में कैश फ़्लो के साथ-साथ ज़्यादा ब्याज दर वाले हर लोन पर बराबर नज़र रखें। व्यवसाय के हर ख़र्चों को बारीक़ी से समझकर आप हमेशा अपनी वित्तीय स्थिति से अवगत रहेंगे और हर ख़र्चों का भुगतान सही समय पर कर पाएंगे।
     
  • ज़्यादा ब्याज दर वाले ऋणभुगतान को प्राथमिकता: व्यवसाय के सुचारु संचालन के लिए कोशिश  करें कि ईएमआई, कर्मचारियों का वेतन, बीमा और परिवहन आदि का भुगतान, बिजली और अन्य ज़रूरी सुविधाओं के भुगतान के बाद किया जाए। अगर आपने कई तरह के ऋण लिए हैं, तो सबसे पहले उच्च ब्याजदरवालेऋण को चुकाने की वयवस्था  करें। उसके बाद कम ब्याज वाले ऋण को चुकायें। ऐसा करने से आप भविष्य में उच्च ब्याज दरों के भुगतान से बच जाएंगे। ब्याज की दर के आधार पर हर ऋण (लोन) को प्राथमिकता देना हमेशा ज़रूरी और फ़ायदेमंद  होता है।
 
  • ऋण  भुगतान के लिए  लंबी अवधि - ऋण के भुगतान के लिए एक सही और प्रभावी योजना बनाने के लिए , आपको उन तरीकों के बारे में सोचने की ज़रूरत  है, जिससे  आप व्यवसाय को जारी रख सकते हैं और समय पर भुगतान भी कर सकते हैं।  ऐसा करने के लिए, आप सप्लायर से लंबी अवधि के भुगतान  की बातचीत कर सकते हैं और ग्राहकों के लिए भुगतान की अवधि को छोटा कर सकते हैं।  ऐसा करने से आपके व्यवसाय में आमदनी जल्दी होगी और ख़र्चों की गति धीमी होगी।
  • मासिक नकदी कैलेंडर - किसी भी व्यवसाय के लिए हर समय नकदी (कैश) की मौजूदा स्थिति के बारे में पता होना बेहद ज़रूरी  है।  इसमें हर प्रकार का कैश शामिल है, जैसे हाथ में नकदी (कैश इन हैंड/बैंक) , प्राप्य (रिसीवेबल्स)  और भुगतान (पेयेबल्स)। व्यवसाय के कुल नकद की एक सूची तैयार करें जिसमें दैनिक ख़र्चों और आमदनी का ब्यौरा होगा। इस सूची के आधार पर मासिक कैलेंडर तैयार करें। ध्यान दें कि इस सूची में नकद से जुड़ी हर जानकारी तारीख़ के अनुसार होनी चाहिए ताकि आप पुनर्भुगतान का रिकॉर्ड तैयार कर सकें। इस रिकॉर्ड के आधार पर व्यवसाय में नकद में होने वाला हर लेन-देन तय होगा।
 
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  • ब्याज के अतिरिक्त बोझ से बचें -  ऋण लेने के साथ ही निर्धारित ब्याज भी लोन की रकम में जुड़ जाता है।  समय पर तय राशि का भुगतान नहीं करने से आपके व्यवसाय के ऊपर  ब्याज का अतिरिक्त  बोझ आ जाता है।  ऐसे बोझ से बचने के लिए जितना संभव हो सके उतनी ज़्यादा राशि का भुगतान करते रहें। अगर आप अपनी  अचल  संपत्ति (फ़िक्सड ऐसेट्स)  बेचना चाहते हैं  या बिक्री के लिए  अनुकूल बाज़ार  होने के कारण व्यवसाय में ज़्यादा आमदनी हो रही है , तो आप जितना ज़्यादा कर सकते हैं उतनी राशि का भुगतान करें। यह ब्याज के भुगतान को कम करेगा और कैश के मासिक ख़र्चों  को नियंत्रित  करेगा।
  • ऋण चुकाने की अवधि में  बदलाव की संभावनाएँ-  अगर आप किन्हीं कारणों से ऋण के निर्धारित समय पर भुगतान में चूक गए हैं और आगे कुछ समय तक किश्त चुकाना भी मुमकिन नहीं है , तो आप ऋण दाता से बातचीत करके  भुगतान की नयी शर्तें तय कर सकते हैं। अगर मौजूदा फ़ाइनेंसर से कोई समाधान नहीं मिले  तो आप अन्य फ़ाइनेंसर से बातचीत कर सकते हैं।  ऐसा  करने से,  फ़ाइनेंसर उसी ऋण को ऐसे ऋण में बदल सकता है जिसकी ब्याज दर कम और पुनर्भुगतान का समय ज़्यादा होगा।  इससे आपको हर महीने ऋण का मासिक भुगतान कम करना होगा  और ऋण की अवधि में यह बदलाव  छोटे व्यवसायों  के लिए बेहद फ़ायदेमंद और कारगर साबित होते हैं। 
  • ब्याज और ऋण संबंधी सरकारी नीतियों पर नज़र -छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर कई तरह की सरकारी नीतियां बनती हैं, इनमें ब्याज की दरों में बदलाव, ऋण लेने की योग्यता और ऋण ट्रांस्फर की सुविधा आदि से जुड़ी जानकारी मुहैया कराई जाती है। सफ़लउद्यमी होने के नाते आपको इन घोषणाओं और नीतियों पर नज़र रखनी चाहिए ताकि समय रहते आप अपने कैश फ़्लो और ख़र्चों में बदलाव कर सकें। 
  • प्रतिस्पर्धा और विश्वसनीयता - छोटे व्यवसायों में ज़्यादा प्रतिस्पर्धा होती है। आपको ध्यान रखना होगा कि प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आगे निकलने की कोशिश में  कहीं आप अपनी विश्वसनीयता तो नहीं खो रहे हैं। ऋण लेने और चुकाने, दोनों  ही अवस्था, में निजी निवेशकों के लिए आपके व्यवसाय की विश्वसनीयता सबसे ज़्यादा मायने रखती है। छोटा ऋण देर से चुकाने या लम्बे समय तक पुनर्भुगतान ना होने पर  भविष्य में आपको  नया ऋण लेने में कठिनाई  का सामना करना पड़ सकता है।
     
  • लागत और उत्पादन - छोटे व्यवसाय में ऋण  से जुड़े हर ज़रूरी प्रबंधन का सबसे अच्छा तरीका उत्पादन और संचालन की लागत को कम करना है। अगर  आप कच्चे माल की ख़रीददारी करते हैं, तो कच्चा माल थोक में ख़रीदें , जिससे आपको थोक छूट मिलेगी और आपको अपने पसंदीदा भुगतान की शर्तें भी मिलेंगी। वहीं  दूसरी तरफ मैन्युफैक्चरिंग  या सर्विसेज़  में नई तकनीक का इस्तेमाल करने से हर छोटे व्यवसाय लंबे समय में कुल लागत को कम कर रहे हैं और लम्बे समय के लिए लाभ प्राप्त कर रहे हैं । इसलिए व्यवसाय के लिए नई तकनीकों और प्रक्रियाओं में नियमित रूप से निवेश करते रहें। 
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यूँ तो ऋण के माध्यम से छोटे व्यवसाय आसानी से गठित हो सकते हैं लेकिन किन्हीं कारणों से अगर भविष्य में व्यवसाय की आर्थिक स्थिति ख़राब होगी तो ऋण का भुगतान कर पाना बेहद मुश्किल हो सकता है। अगर आप अपने छोटे व्यवसाय का ऋण चुकाने के लिए पुख़्ता तैयारी और प्रभावी नीतियां बनायें तो आर्थिक संकटों का सामना करना मुमकिन है। आपको सिर्फ़ पर्यावरण के प्रति जागरूकता, प्रभावी आर्थिक नीतियों  और व्यवसाय के संचालन पर पूरा ध्यान देना है। जागरूक रहें, आगे रहें।
 

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Written by  Katyaini Kotiyal

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