TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) और इसके महत्व

टीडीएस का मतलब होता है ‘टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स’। किन्तु टीडीएस क्या है? आइये इसे टीडीएस के महत्व को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं। टीडीएस, जैसा कि नाम से पता चलता है, यह कर कटौतीकर्ता को भुगतान करते समय आय दाता (कटौतीकर्ता) द्वारा काटा जाता है। इस तरह के करों को भुगतानकर्ता द्वारा देय कुल राशि से लिया जाता है और आयकर विभाग के पास जमा किया जाता है। आय का भुगतान करने वाले और टीडीएस काटने वाले व्यक्ति को डिडक्टर कहा जाता है, जबकि आय प्राप्त करने वाले व्यक्ति और जिसकी ओर से टैक्स काटा गया है, उसे डिडक्टी कहा जाता है। 

उदाहरण के लिए, ब्याज भुगतान करते समय, यदि ब्याज राशि 40000 रु. से अधिक है तो बैंक 10% की दर से टीडीएस काट सकते हैं। मान लिजिए कि देय ब्याज राशि रु. 50,000, हैं तो ऐसे में बैंक 5000 रुपये काट सकता है, और शेष 45000 रुपये जमा धारक का भुगतान करता है।

इस मामले में, बैंक डिडक्टर है, और जमा धारक डिडक्टी है। इस 5000 रुपये को बैंक जमा धारक के पैन के नाम पर आयकर विभाग के साथ जमा करता है। करदाता अपनी आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय इस टीडीएस के लिए दावा कर सकते हैं और इसे वापिस पा सकते हैं। 
 

टीडीएस निम्नलिखित प्रकार के भुगतानों पर काटा जाता है

 

वेतन पर टीडीएस

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 192 के तहत आपके आयकर स्लैब के अनुसार आपके नियोक्ता (इम्प्लॉयर) द्वारा कर काटा जाता है। यही कारण है कि नियोक्ता वर्ष की शुरुआत में निवेश घोषणा और अंत में निवेश प्रमाण मांगते हैं। यह उन्हें आपकी कर योग्य आय और लागू स्लैब की गणना करने और उसके मुताबिक कर कटौती करने में सक्षम बनाता है। 
 

ब्याज आय पर टीडीएस

निवासी व्यक्ति की ब्याज आय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194ए के तहत कर योग्य होती है। बैंक ऐसे  किसी भी व्यक्ति की कर कटौती कर सकती है, जिसका एफडी पर 10000 रूपये से अधिक ब्याज आ रहा है। बैंक द्वारा काटी जाने वाली ब्याज दर निम्नलिखित परिस्थियों के अनुसार भिन्न हो सकती है। 
 
  • पैन नंबर बैंक को नहीं दिया तो 20%
  • यदि पैन नंबर बैंक को दिया है तो 10% 
  • यदि कोई व्यक्ति फॉर्म 15जी/15एच जमा करता है तो कोई टीडीएस नहीं कटता 

यदि आपकी कुल आय कर योग्य सीमा से कम है, तो आप बैंक को अपनी एफडी पर कर काटने से रोकने के लिए आप फॉर्म 15G/15H जमा कर सकते हैं। फॉर्म 15एच वरिष्ठ नागरिकों के लिए है, जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है; जबकि फॉर्म 15G अन्य व्यक्तियों के लिए है।
 

बांड से प्राप्त ब्याज पर टीडीएस

बांड पर भुगतान किया गया ब्याज, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 193 के तहत 10% कर कटौती (टीडीएस) के अधीन है। इसमें सरकार द्वारा जारी 7.75% बचत वाले बांड भी शामिल होंगे। टैक्स फ्री बॉन्ड के मामले में यह प्रावधान लागू नहीं होगा।

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बीमा आयोग पर टीडीएस

बीमा कमीशन प्राप्त करने वाले व्यक्ति और एचयूएफ को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194डी के तहत इस कमीशन आय पर कर कटौती करनी होगी। यदि प्राप्तकर्ता का पैन प्रदान किया जाता है तो कटौती की दर 5% रहेगी। वहीं संस्थाओं द्वारा यदि पैन प्रदान किया जाता है तो टीडीएस दर 10% होगी।

यदि पैन प्रदान नहीं किया गया है तो टीडीएस दर 20% है। 15,000 रुपये सालाना से कम कमीशन पाने वालों का कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा।
 

किराए पर टीडीएस

व्यक्ति या एचयूएफ जो टैक्स ऑडिट के अधीन हैं, यदि उनके द्वारा भुगतान किया गया किराया एक वित्तीय वर्ष में 1.8 लाख रुपये से अधिक है, तो वे स्रोत पर कर कटौती करने के लिए बाध्य हैं। कटौती की दर किसी भी मशीनरी, संयंत्र और उपकरण के उपयोग के लिए 2% और किसी भूमि, भवन और फर्नीचर या फिटिंग के उपयोग के लिए 10% है।
 

शेयरों और म्यूचुअल फंड पर टीडीएस

शेयरों और म्युचुअल फंड में पूंजीगत लाभ पर कर कटौती (टीडीएस) नहीं होती है। यदि आप शेयर मार्केट में निवेश करने का शौंक रखते हैं तो वहां से अर्जिक किए लाभ पर आपको कोई टीडीएस नही देना पड़ता।
 

संपत्ति पर टीडीएस

50 लाख रुपये या उससे अधिक के मूल्य वाले फ्लैट, घर या अन्य संपत्ति के खरीदारों को खरीद मूल्य का 1% कर कटवाना होता है। यदि बेचने वाला शख्स अपना पैन नंबर खरीदार को प्रदान नहीं करता है, तो यही कर 20% हो जाता है। हालांकि खरीदार को इसके लिए टैन नंबर की आवश्यकता नही होती है। क्योंकि खरीदार महीने के अंत से 30 दिनों की अवधि के भीतर सरकार को काटे गए कर का भुगतान कर सकता है। कर काटने वाले व्यक्ति को कर भुगतान की देय तिथि से 15 दिनों के भीतर मकान मालिक को कर कटौती प्रमाणपत्र और फॉर्म 26QB जमा करना होता है।
 

टीडीएस भुगतान ऑनलाइन

 
  • एनएसडीएल कर भुगतान वेबसाइट पर लॉग इन करें
  • चालान संख्या/आईटीएनएस 281 का चयन करें
  • लागू कंपनी या गैर-कंपनी डिडक्टी का चयन करें
  • कर कटौती या संग्रह खाता संख्या और निर्धारण वर्ष दर्ज करें जिससे भुगतान संबंधित है। निर्धारण वर्ष वह वर्ष है जो लेन-देन के वित्तीय वर्ष के बाद आता है
  • अब चयन करें कि क्या करदाता द्वारा नियमित मूल्यांकन के लिए भुगतान किया जाता है
  • भुगतान की प्रकृति, भुगतान का तरीका दर्ज करें और 'सबमिट' दबाएं
  • यदि टैन वैध है, तो करदाता का पूरा नाम पुष्टिकरण स्क्रीन पर प्रदर्शित होगा
  • एक बार जब आप डेटा की पुष्टि कर लेते हैं, तो आपको अपने नेट-बैंकिंग खाते पर रीडायरेक्ट कर दिया जाता है
  • पासवर्ड और ओटीपी/ऑथेंटिकेशन डिवाइस पासवर्ड दर्ज करें और भुगतान करें
  • भुगतान करने पर, किए गए भुगतान का विवरण प्रदर्शित करते हुए एक चालान उत्पन्न होगा


किन परिस्थितियों में करदाता टीडीएस कटौती का दावा कर सकते हैं?

 
  • कुल आय आयकर देय स्लैब के भीतर नहीं हो
  • भुगतान किया गया टीडीएस कर देय देयता से अधिक हो
  • करदाता को चल रहे महीने में आय का नुकसान हुआ हो
  • पिछले वर्ष का नुकसान वर्तमान वर्ष में आगे बढ़ा हो
  • करदाता कर छूट के लिए पात्र है।
  • यदि आप फॉर्म 15जी/15एच जमा करते हैं तो टीडीएस कटौती से बच सकते हैं। टीडीएस की वापसी या गैर-कटौती का दावा करने के लिए फॉर्म 13 जमा किया जा सकता है।

प्रत्येक करदाता को अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि टीडीएस क्या होता है यह क्यों लगाया जाता है। यदि आप इसे समझते हैं तो अपने टीडीएस को वापिस पा सकते हैं।

 

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टीडीएस क्यों जरूरी है?


एक निश्चित स्रोत पर कर एकत्र करने के लिए सरकार द्वारा टीडीएस को स्थापित किया गया है। यह कर चोरी को एक हद तक रोकने में मदद करता है, क्योंकि कटौतीकर्ता हर तीन माह में टीडीएस रिटर्न में सभी टीडीएस कटौती विवरण दर्ज करते हैं। इससे सरकार को करदाताओं की आय का विवरण जानने में मदद मिलती है। जिसके चलते करदाता के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वह अपनी सही आय का खुलासा करे और अपनी आयकर रिटर्न में इस आय पर कर का भुगतान करे।

मान लीजिए कि करदाता ने आईटीआर में सही आय का खुलासा नहीं किया है। उस मामले में, कम्प्यूटरीकृत रिटर्न प्रसंस्करण स्वचालित रूप से इस का पता लगाता है और करों की वसूली के लिए उपयुक्त कार्रवाई के लिए आयकर अधिकारियों को इसकी जानकारी देता है।
 

टीडीएस के देर से या गैर फाइलिंग के दंड प्रावधान क्या हैं?


सेक्शन 201(1ए) के तहत टीडीएस काटने के बाद देर से जमा करने पर आपको ब्याज देना होता है। ब्याज की गणना उस तारीख से 1.5% प्रति माह की दर से की जाती है जिस पर टीडीएस काटा गया था और जमा की वास्तविक तारीख तक इसे जोड़ा जाता है। ध्यान दें कि इसकी गणना मासिक आधार पर की जाती है न कि दिनों की संख्या के आधार पर।

उदाहरण के लिए, 5,000 रुपये के टीडीएस की कटौती की तारीख 13 जनवरी 2022 है। यदि आप 17 मई 2022 को टीडीएस का भुगतान करते हैं, तो आपको 13 जनवरी 2022 से ब्याज देना होगा, यानी 5000 रुपये x 1.5% प्रति माह। x 5 महीने (जनवरी-मई) = 375 रुपये।

आशा करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप जान गए होंगे कि टीडीएस क्या होता है और यह क्यों जरूरी है। इस लेख में हमने न केवल आपको टीडीएस के महत्व के बारे में बताने का प्रयास किया है, बल्कि यह भी समझाया है कि यह किन भुगतानों पर काटा जाता है और इसे ऑनलाइन कैसे भरा जाता है और आप इसके टीडीएस रिफंड के लिए कैसे दावा कर सकते हैं। इस और अच्छे से समझने के लिए आप अपने सी.ए से भी विचार विमार्श कर सकते हैं। 
 

Written by  Katyaini Kotiyal

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Katyaini is a finance expert with a focus on the non-banking financial sector, bringing over 8 years of experience in NBFC. She specializes in simplifying complex financial concepts for readers, helping them navigate the NBFC landscape. Outside of work, she is passionate about travelling.

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