बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हमें आर्थिक रूप से सशक्त होना ज़रूरी है। बात चाहे नए रोज़गार की हो, किसी सम्पत्ति या फिर शिक्षा में बड़े अवसरों के लाभ लेने की, सभी क्षेत्रों में पूँजी का निवेश अहम होता है और इसी निवेश को पूरा करने के लिए ऋण एक बेहतर विकल्प के तौर पर मौजूद है।
आर्थिक बाज़ार में सरकारी और निजी दोनों स्तरों पर ऋण मुहैया कराने की आसान व्यवस्था बनायी गई है ताकि हर वर्ग का व्यक्ति ऋण ले सके और अपनी सुविधानुसार उसे चुका सके। बावजूद इसके ऋण नहीं चुका पाने वाले व्यक्तियों की संख्या में हो रहा इज़ाफ़ा काफी चिंताजनक है।
बहुत से लोग यह सोचकर ऋण लेते हैं कि वे इसे आसानी से चुकाने में सक्षम होंगे, लेकिन उनकी उम्मीद तब धराशायी हो जाती है जब वे अचानक नौकरी खो देते हैं या ख़ुद को एक आपातकालीन स्थिति में पाते हैं जहाँ ईएमआई भुगतान के लिए उन्हें पैसे की कमी से जूझना पड़ता है। यहां यह समझना ज़रूरी है कि ऋण ना चुकाना और ईएमआई का भुगतान देर से करना दोनों अवस्थाएं एक दूसरे से अलग हैं।
आंकड़ों की बात करें तो भारत में 25 से अधिक बैंक ऐसे ही मामलों से जूझ रहे हैं जहाँ ऋण लेने वाला अपनी ईएमआई का भुगतान करने में असमर्थ हुआ है। चाहे बाइक की किश्त हो, होम लोन की किश्त का भुगतान हो या फिर निजी तौर पर लिया गया ऋण हो। अगर आप भी ऐसी किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो ये समय है कि आप अपनी आर्थिक योजनाएं सही से तैयार करें। ऋण की किश्त का समय से भुगतान नहीं करने की हालत में आपको कुछ ज़रूरी सावधनियां बरतनी होंगी जिनसे आप बकायादार (लोन डिफ़ॉल्टर) होने से भी बच सकते हैं और वित्तीय संस्था के लिए विश्वसनीय भी रह सकते हैं।
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पहली बात, अगर आपने उधार लिया है तो ऋण बकायादार (लोन डिफ़ॉल्टर) ) रहने से आपके क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ेगा साथ ही आपकी विश्वसनीयता में भी कमी आएगी। इससे भी ज़रूरी ये कि अगर भविष्य में आप अन्य ऋण लेना चाहेंगे तो ऋण मिल पाना बहुत मुश्किल हो सकता है । दूसरी बात आपने जिस वित्तीय संस्थान से ऋण लिया है, किश्त का भुगतान नहीं करने की स्थिति में वह आपके ऊपर क़ानूनी कार्यवाही कर सकता है। हालांकि अगर आप अपनी मौजूदा ऋण की ईएमआई का भुगतान नियमित रूप से अदा करते आये हैं तो यह एक अच्छी बात है और वित्तीय संस्थान आपके प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण बनाएगा। कई मामले ऐसे हो सकते हैं जिनमें आपको ऋण ना चुका पाने पर भी संपत्ति छोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
ऋण की किश्त बकाया होने की स्थिति में सबसे ज़रूरी है कि आप अपने ऋणदाता को तुरंत विश्वास में लें। अधिकांश उधारदाता आपके साथ प्रत्येक स्थिति को सौहार्दपूर्ण और पारस्परिक रूप से फ़ायदेमंद तरीके से हल करने के लिए कोशिश करते हैं। इस व्यवस्था को बनाये रखने के लिए आप ये कदम उठा सकते हैं:
किश्त की रक़म कम करना - आपकी मौजूदा वित्तीय स्थिति पर विचार करने के बाद, अगर ऋणदाता को लगता है कि आपके पास नियमित नकदी प्रवाह (कैश फ़्लो) तो है, लेकिन किश्त की राशि आपको परेशान कर रही है, तो ऋणदाता आपके ऋण की अवधि को बढाकर ऋण को पुनर्निर्धारित करने का प्रयास करेगा। ताकि आपकी वर्तमान किश्त की रक़म को कम किया जा सके। ऐसा करने से आपकी स्थिति में तत्काल राहत हो जायेगी लेकिन ब्याज भुगतान की मात्रा भी बढ़ जाएगी।
असुरक्षित से सुरक्षित ऋण करना - असुरक्षित ऋण (अनसिक्योर्ड लोन) के मामले में, ऋणदाता असुरक्षित ऋण को सुरक्षित ऋण (सिक्योर्ड लोन) में परिवर्तित कर सकता है। इसके लिए आपको कोई संपत्ति गिरवी रखनी होगी और यह ब्याज के बोझ के साथ-साथ ईएमआई को भी कम करेगा।
ऋण भुगतान स्थगित करना - अगर आप ऐसी स्थिति में हैं जिसमें आपको लग रहा है कि निकट भविष्य में आपके पास पैसे की कमी हो सकती है, तो आप ऋणदाता से ऋण भुगतान को स्थगित करने के लिए आग्रह कर सकते हैं। ऋण भुगतान स्थगित करना एक अस्थायी समाधान है जिसके लिए ऋणदाता आपकी राशि पर जुर्माना लगा सकता है।
निपटारा - अगर ऋण को एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया है, तो ऋणदाता एकमुश्त निपटान का विकल्प दे सकता है जो भुगतान की जाने वाली मूल राशि से कम होगी। यह आमतौर पर तब होता है जब देय ब्याज की राशि मूल राशि की मात्रा से ज़्यादा होती है।
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अगर ऊपर दिए गए विकल्प काम नहीं करते हैं, तो संपत्ति के प्रकार के आधार पर एक नया विकल्प दिया जा सकता है।
चल संपत्ति: चल संपत्ति (फिक्सड एसेट) के मामले में, उधारकर्ता को बकाया देय राशि का भुगतान करने के लिए नोटिस दिया जाएगा, अगर उधारकर्ता भुगतान नहीं करता है, तो ऋणदाता उसकी संपत्ति पर कब्ज़ा कर लेगा। एक बार ऋणदाता के पास संपत्ति पहुँच जाने के बाद, वह उधारकर्ता को पूर्व-बिक्री नोटिस जारी करेगा और उसे एक सप्ताह के समय में बकाया भुगतान करने के लिए कहेगा। अगर उधारकर्ता भुगतान कर देता है, तो उसकी संपत्ति उसे वापस दे दी जाएगी। अगर उधारकर्ता भुगतान नहीं कर पाता है , तो ऋणदाता संपत्ति को नीलाम करने का अधिकार रखता है और दी गयी तारीख से 90 दिनों के भीतर नीलामी के माध्यम से संपत्ति को बेच सकता है।
अचल संपत्ति: निर्धारित मानदंडों के मुताबिक अचल संपत्ति के मामले में, ऋण को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में उधारकर्ता को एक सूचना भेजी जाती है। जिसमें आमतौर पर उधारकर्ता को भुगतान करने के लिए 60 दिनों का समय दिया जाएगा। भुगतान नहीं करने की स्थिति में, ऋणदाता गिरवी रखी गई संपत्ति को कब्ज़ा करने के बारे में नोटिस देगा और कब्ज़ा करने की एक निश्चित अवधि के बाद उसे नीलाम कर सकता है। अगर उधारकर्ता पूर्ण रूप से बकाया राशि का भुगतान करने की पेशकश करता है, तो ऋणदाता संपत्ति का कब्ज़ा उधारकर्ता को सौंप सकता है, लेकिन यह प्रस्ताव नीलामी से पहले दिया जाना चाहिए। अंत में बकाया राशि का भुगतान हो जाने के बाद अतिरिक्त राशि, उधारकर्ता को वापस कर दी जाएगी।
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ऋण ईएमआई भुगतान चूक के मामले में उधारकर्ता के पास कुछ अधिकार होते हैं जैसे-
सूचना का अधिकार: उधारकर्ता को इस बात का अधिकार है कि वह आपसे हर क़ानूनी कार्रवाई के लिए नोटिस की मांग कर सके। ऋणदाता आपको उचित नोटिस दिए बिना आपके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते।
बकाया राशि प्राप्त करने का अधिकार: अगर संपत्ति की कीमत में बढ़ोत्तरी होती है तो असल ऋण का भुगतान करने के बाद भी कुछ राशि बच सकती है। ऐसे में उधारकर्ता नीलामी के बाद राशि प्राप्त करने का अधिकार रखता है।
संपत्ति के सही मूल्य का अधिकार: नोटिस के साथ, उधारकर्ता को इस बात का भी अधिकार है कि वह नीलाम होने वाली संपत्ति की उचित कीमत लिखित में मांग सके। अगर संपत्ति का सही मूल्यांकन नहीं किया जा रहा है, तो उधारकर्ता इस पर आपत्ति उठा सकते हैं।
सुनवाई का अधिकार : एक बार जब उधारकर्ता नोटिस प्राप्त करता है, तो लोन डिफ़ॉल्टर (लोन ना चुका पाने वाला व्यक्ति) एक प्रत्यावेदन दायर कर सकता है और संपत्ति के पुन: कब्ज़े के लिए / नीलामी के ख़िलाफ़ आपत्तियां उठा सकता है।
विनम्र व्यवहार का अधिकार: उधारकर्ता के पास संपर्क और संबोधित किये जाने का अधिकार है और एजेंट केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक उधारकर्ता से संपर्क कर सकता है।
इसी तरह से, ऋणदाताओं के पास अधिकार होते हैं जो उन्हें ऋण की बकाया राशि को प्राप्त करने में मदद करते हैं। दोनों पक्षों को एक-दूसरे के साथ सम्मान के साथ पेश आना चाहिए और सुनवाई का अधिकार भी सुरक्षित रखना चाहिए। इस प्रकार, ऋण का भुगतान ना कर पाना दोनों पक्षों के लिए कठिन है, लेकिन इसे पारस्परिक रूप से सम्मानजनक तरीके से हल किया जा सकता है। हालांकि यह जानी मानी बात है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है। इसलिए , केवल उतना ही उधार लेना सही है जितना आप आराम से चुका सकते हैं और भविष्य की आर्थिक परिस्थितियों में होने वाले किसी भी बदलाव की निगरानी रख सकते हैं ताकि आप सही तरीके से लोन चुका पाएं और कोई परेशानी भी ना हो।
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