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बीते कुछ वर्षों में देखने में आया है कि भारतीय लोगों का रूझान पर्सनल लोन की ओर तेजी से बड़ा है। इसका कारण बढ़ती इच्छाएं हैं या फिर आर्थिक तंगी? इसका जवाब देना तो मुश्किल है। मगर लोगों के बढ़ते रूझान का फायदा वित्तीय संस्थानों को भी मिल रहा है। आइये इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि अगर आप पर्सनल लोन लेते हैं, तो उसके पुर्नभुगतान में आपको कितनी कीमत का भुगतान करना पड़ता है। साथ ही पर्सनल लोन पर लागत से जुड़े अन्य मुख्य कारकों पर भी चर्चा करते हैं।
पर्सनल लोन की ब्याज दर 10.99% और 24% प्रति वर्ष के बीच हो सकती है। यह दर हर वित्तीय संस्थान की निजी पॉलिसी और शर्तों पर निर्भर करती हैं। कई बार गैर-नौकरीपेशा ग्राहकों के लिए ब्याज की दर अलग हो सकती है। हालांकि पर्सनल लोन इंटरेस्ट रेट आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर भी निर्भर करता है। यदि आवेदक का क्रेडिट स्कोर, संस्थान के साथ अच्छे संबंध और वित्तीय स्थिरता है, तो ब्याज दर कम भी हो सकती है। इसलिए अक्सर यही सलाह दी जाती है कि जब भी आप लोन लेने का मन बनाएं, तो पहले संस्थान के सेवा अधिकारी से पर्सनल लोन की ब्याज दर के संबंध में पूर्ण जानकारी हासिल करें और फिर लोन के लिए आवेदन करें।
आपके द्वारा चुने गए वित्तीय संस्थान के नियम एवं शर्तों के मुताबिक लोन की प्रोसेसिंग फीस 0.5% प्रति वर्ष से 3% प्रति वर्ष के बीच हो सकती है। साथ ही लोन राशि पर 18% जीएसटी भी लगती है। इसका मतलब है कि यदि आप 1 लाख रुपये के लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं और वित्तीय संस्थान 2% प्रोसेसिंग शुल्क ले रहा है, तो आपकी कुल प्रोसेसिंग फीस होगी: (1 लाख रुपये का 2%) 2,000 रुपये + (2,000 रुपये का जीएसटी 18%) रुपये 360 = 2,360 रुपये।
इसके अतिरिक्त बहुत से वित्तीय संस्थान अक्सर प्रोसेसिंग फीस को सीमित रखते हैं (उदाहरण के लिए प्रोसेसिंग फीस 10,000 रुपये से अधिक नहीं हो सकती)। साथ ही, कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जो कुछ ग्राहकों को बिना किसी प्रोसेसिंग फीस के भी पर्सनल लोन दे देते हैं।
लोगों को अक्सर किसी आपात स्थिति या फिर अचानक से आन पड़े किसी आर्थिक संकट से निपटने के लिए ही पर्सनल लोन लेना पड़ता है, लेकिन जब कुछ समय बाद उनकी वित्तीय स्थिति स्थिर हो जाती है, तो उन्हें लंबी अवधि तक ब्याज और ईएमआई का भुगतान करना परेशानी के समान प्रतीत होता है। यही कारण है कि पर्सनल लोन चुकाते समय प्रीपेमेंट विकल्प दिया जाता है। हालांकि, लोन अवधि कम होने के कारण आय के नुकसान की क्षतिपूर्ति करने के लिए वित्तीय संस्थान एक पूर्व भुगतान शुल्क लेते हैं। साथ ही अधिकांश उधारदाताओं के पास 12 महीने की लॉक-इन अवधि भी होती है, जिसके पहले आप पर्सनल लोन का पूर्ण भुगतान नही कर सकते हैं।
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पर्सनल लोन लेने से पहले हर व्यक्ति के लिए जरूरी है कि वह इस बात की पूर्ण जानकारी हासिल करे कि ईएमआई चूकने या देरी से भुगतान करने पर लगने वाली विलंब फीस कितनी है। कई वित्तीय संस्थान बकाया लोन राशि पर लेट पेमेंट चार्ज के रूप में 2% से 3% प्रति माह या 24% प्रति वर्ष ब्याज शुल्क लगाते हैं। इसके अलावा प्रत्येक अस्वीकृत ईएमआई के लिए एक फ्लैट राशि (जैसे 450-500 रुपये) और जीएसटी लेते हैं।
यदि आप अपने पर्सनल लोन के पुनर्भुगतान का मोड बदलते हैं (जैसे, चेक से ऑटो-डेबिट में), तो आमतौर पर इसके लिए भी शुल्क लगता है। संस्थान लोन की अवधि के दौरान प्रत्येक पुनर्भुगतान मोड स्वैप के लिए लगभग 500 रुपये (प्लस 18% जीएसटी) चार्ज कर सकते हैं। हालांकि बहुत से वित्तीय संस्थान बिना शुल्क के भी पुर्नभुगतान मोड स्वैप कर देते हैं।
यदि आप पर्सनल लोन के अप्रुवल या उसकी अदायगी के बाद कैंसल करते हैं, तो आपको वित्तीय संस्थान को कैंसिलेशन शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है। कुछ संस्थान एक फ्लैट दर (जैसे 3,000 रुपये) + 18% जीएसटी चार्ज करते हैं। जबकि कुछ संस्थान किसी भी तरह की कैंसिलेशन फीस नहीं लेते हैं। इसलिए, सुझाव दिया जाता है कि पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करने से पहले अच्छी तरह सोच विचार करें, क्योंकि कैंसिलेशन फीस कई बार महंगी पड़ सकती है। साथ ही आपको सलाह दी जाएगी कि आप एक के बाद एक कई लोन के लिए आवेदन न करें, क्योंकि इसका आपके क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ता है।
बहरहाल हम आपको यही सुझाएंगे कि पर्सनल लोन लेने का निर्णय लेने से पहले लोन से जुड़ी इन सभी बातों को जान लें और चयन किए गए वित्तीय संस्थान से सभी लागू शुल्कों पर पूरी स्पष्टता प्राप्त करें। पर्सनल लोन के पुनर्भुगतान में किसी भी तरह की ढिलाई आप पर एक नया कर्ज डाल सकती है और आपके क्रेडिट स्कोर को भी खराब कर सकती है। इसलिए, जब पर्सनल लोन चुनने की बात हो तो होशियार रहें और एक भी ईएमआई का भुगतान करने से न चूकें।